वन भूमि पर चिड़ियाघर नहीं खोल सकती सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया आदेश

वन भूमि पर चिड़ियाघर नहीं खोल सकती सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया आदेश

देश भर में वन संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कई निर्देश जारी किए हैं। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में इस तथ्य को रेखांकित किया कि वन संरक्षण पर 2023 के संशोधित कानून के तहत जंगल की परिभाषा में लगभग 1.99 लाख वर्ग किमी वन भूमि को ‘वन’ के दायरे से बाहर रखा गया है।

जिसका उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवायी हुई इस मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा कि बिना मंजूरी के किसी नए चिड़ियाघर, सफारी की शुरुआत नहीं की जा सकती.

इस याचिका में याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि संशोधित कानून में ‘वन’ की व्यापक परिभाषा को धारा 1ए के तहत संकुचित कर दिया गया है.

संशोधित कानून के अनुसार,’वन’ के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिए भूमि को या तो जंगल के रूप में अधिसूचित किया जाना चाहिए या सरकारी रिकॉर्ड में विशेष रूप से जंगल के रूप में दर्ज किया जाना चाहिए.

वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2023 के प्रमुख प्रावधान:

अधिनियम का दायरा

एक प्रस्तावना शामिल करके यह विधेयक अधिनियम के दायरे को व्यापक बनाता है।

इसके प्रावधानों की क्षमता को दर्शाने के लिये इस अधिनियम का नाम बदलकर वन (संरक्षण एवं संवर्द्धन) अधिनियम, 1980 कर दिया गया।

विभिन्न भूमियों पर प्रयोज्यता:

यह अधिनियम, जिसे शुरू में सिर्फ अधिसूचित वन भूमि पर लागू किया गया था, बाद में राजस्व वन भूमि और सरकारी रिकॉर्ड में वन के रूप में दर्ज भूमि तक बढ़ा दिया गया।

संशोधनों का उद्देश्य दर्ज वन भूमि, निजी वन भूमि, वृक्षारोपण आदि पर अधिनियम के अनुप्रयोग को सुनिश्चित करना है।

वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 की मुख्य बिंदु

सरकार के मुताबिक, विधेयक का प्राथमिक उद्देश्य गोदावर्मन मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संबंधित किसी भी अनिश्चितता को खत्म करना है. इसका उद्देश्य ‘वन’ की परिभाषा पर स्पष्टता प्रदान करना और कुछ प्रकार की वन भूमि को छूट देना है.

इस विधेयक में अंतरराष्ट्रीय सीमाओं या नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ 100 किमी की दूरी के भीतर 10 हेक्टेयर तक राष्ट्रीय महत्व और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित रणनीतिक रैखिक परियोजनाओं के निर्माण के लिए उपयोग करने का प्रस्ताव है.

रेलवे लाइन या सरकार की ओर से प्रबंधित सार्वजनिक सड़क के किनारे स्थित 0.10 हेक्टेयर तक के वन; निजी भूमि पर वृक्षारोपण जो पूर्व वन मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता से वन के रूप में वर्गीकृत नहीं है.