भाजपा पार्षद प्रत्याशी मतदाताओं को पैसे बांटते रंगे हाथों  पकड़े गए, जनता ने किया विरोध ;वीडियो हुआ वायरल…

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बिलासपुर: भाजपा पार्षद प्रत्याशी मतदाताओं को पैसे बांटते रंगे हाथों पकड़े गए, जनता ने किया विरोध ;वीडियो वायरल…

बिलासपुर। नगरीय निकाय चुनाव में धनबल के दुरुपयोग का एक बड़ा मामला सामने आया है। वार्ड क्रमांक 07 के भाजपा पार्षद प्रत्याशी श्याम कार्तिक को मतदाताओं को नकद पैसे बांटते हुए स्थानीय निवासियों ने रंगे हाथों पकड़ लिया। यह घटना पंचशील नगर, यदुनंदन नगर के पास हुई, जहां सतर्क नागरिकों ने प्रत्याशी को घेर लिया और उनके द्वारा बांटे जा रहे पैसों को नाले में फेंक दिया। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है।

जनता की जागरूकता ने किया खुलासा :
मिली जानकारी के अनुसार, भाजपा प्रत्याशी श्याम कार्तिक अपने समर्थकों के साथ वार्ड में घूमकर मतदाताओं को पैसे बांट रहे थे। लेकिन स्थानीय लोगों की सतर्कता के कारण उनकी यह योजना नाकाम हो गई। जब नागरिकों ने इस अनैतिक कृत्य को देखा तो उन्होंने प्रत्याशी को घेर लिया और विरोध जताया। घबराहट में प्रत्याशी ने पैसे से भरे लिफाफे नाले में फेंकने शुरू कर दिए, लेकिन तब तक लोगों ने उनका वीडियो बना लिया था।

चुनाव आयोग से कड़ी कार्रवाई की मांग :
घटना के तुरंत बाद स्थानीय नागरिकों ने पुलिस को सूचित किया और जिला निर्वाचन अधिकारी से शिकायत करने की तैयारी शुरू कर दी है। चुनाव संहिता के अनुसार, किसी भी प्रत्याशी द्वारा मतदाताओं को प्रलोभन देना गंभीर अपराध है, जो उनकी उम्मीदवारी को भी खतरे में डाल सकता है। इस मामले में जनता ने चुनाव आयोग से कड़ी कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके। प्रशासन अब इस वीडियो और गवाहों के बयान के आधार पर जांच में जुट गया है।

क्या इस बार होगी सख्त कार्रवाई?
यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि चुनावों में धनबल और बाहुबल का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। हालांकि, इस बार जनता की जागरूकता ने इस खेल को उजागर कर दिया है। अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग और प्रशासन क्या सख्त कदम उठाते हैं। क्या यह मामला अन्य चुनावी धांधलियों की तरह दब जाएगा, या फिर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर एक नई मिसाल कायम होगी? जनता की सतर्कता ने इस अनैतिक प्रयास को असफल किया है, लेकिन यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या राजनीतिक दल लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करेंगे, या फिर सत्ता पाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाते रहेंगे?