राजस्व- वन की भूमि पर फिर शुरू हुआ अवैध निर्माण का खेल, विभागीय अमला रोक लगाने में नाकाम, अवैध कब्जाधारियों के हिस्से में जा रही बेशकीमती जमीन
मनीष पारिक कि रिपोर्ट
कोरबा/पाली:- विकासखण्ड पाली के ग्राम बुड़बुड़ व इसके आश्रित मोहल्ला छिंदपारा के मध्य राजस्व एवं वन की बेशकीमती 40 से 50 एकड़ की भूमि पर स्थानीय ग्रामीणों द्वारा बेधड़क अवैध कब्जा कर मकान निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। उक्त भूमि पर पूर्व में भी अतिक्रमण करने का प्रयास किया गया था, किंतु तत्कालीन राजस्व- वन अधिकारियों की सक्रियता से अवैध कब्जा ढहाया गया था। लेकिन ग्रामीणों के हौसले पस्त नही हुए और उन्होंने पुनः निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया। जिसे गत माह खबर के माध्यम से प्रसारित किया गया था। जिस खबर पर संज्ञान लेकर राजस्व अधिकारियों ने शासकीय भूमि में निर्माण पर रोक लगा दिया था। किन्तु वर्तमान में ग्रामीण अधूरे निर्माण को पूर्ण करने में फिर जुट गए है।

ज्ञात हो कि एसईसीएल की सराईपाली परियोजना अंतर्गत बुड़बुड़ में ओपन कास्ट कोयला खदान संचालित हो रहा है। जहां खदान खोलने की प्रारंभिक प्रक्रिया के साथ प्रभावित ग्राम बुड़बुड़ के भू स्वामियों/किसानों की जमीनें अधिग्रहित की गई, जिसके एवज में उन्हें मुआवजा, नौकरी व बसाहट दी गई। किंतु प्रभावित ग्रामीण बुड़बुड़ व छिंदपारा के मध्य राजस्व एवं वन भूमि पर कब्जा करने की नीयत से कच्चे- पक्के मकान का निर्माण व बाड़ी घेराव को अंजाम देने लगे। लेकिन तत्कालीन के राजस्व एवं वन अधिकारियों इस ओर ध्यान दे अवैध कब्जा हटाया गया था तथा अतिक्रमणकारी ग्रामीणों को शासकीय भूमि पर कब्जा नही करने सख्त हिदायत देते हुए बेजा कब्जा की पुनरावृत्ति दोहराने पर कब्जाधारियों के विरुद्ध कार्यवाही किये जाने की हिदायत भी दी गई थी। संबंधित अधिकारियों के अन्यंत्र स्थानांतरण पश्चात ग्रामीण करोड़ो की उक्त बेशकीमती जमीन पर पुनः निर्माण कार्य मे जुट गए। जिसे गत माह खबर के माध्यम से प्रसारित करते हुए राजस्व- वन अमले का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराने प्रयास किया गया। खबर को संज्ञान में लेकर राजस्व अधिकारियों द्वारा मौके पर पहुँच निर्माण कार्य पर रोक लगाया गया किन्तु वनभूमि में हो रहे कब्जे पर रोक लगाने की दिशा पर वन अमले के कानों में जूं तक नही रेंगी। राजस्व अमले की तब सक्रियता से एक- दो सप्ताह ग्रामीणों ने काम बंद रखा, लेकिन वर्तमान में आधे- अधूरे छोड़े गए निर्माण को ग्रामीण द्वारा आनन- फानन में पूर्ण करने में जुटे हुए है। जानकार सूत्र बताते है कि एसईसीएल प्रभावित बुड़बुड़ के ग्रामीणों के मध्य 260 परिवारों में राजस्व व वनभूमि की जमीन का ढाई- ढाई डिसमिल के हिसाब से बंटवारा हुआ है। जिस जमीन पर ग्रामीण बसने की नीयत से मकान का निर्माण करा रहे है। जिससे एक ओर राजस्व भूमि के एक बड़े हिस्से का रकबा घट रहा है तो वहीं दूसरी ओर साल, चार जैसे पेड़ों से समृद्ध बड़े झाड़ के आधे जंगल को भी नष्ट करने की तैयारी की जा रही है। विडंबना यह है कि राजस्व, वन के विशाल भू- भाग में अवैध कब्जा की देखा- देखी अब भू- माफिया भी सक्रिय हो गए है और उनकी निगाहें इस बेशकीमती जमीन पर जा टिकी है। बुड़बुड़ व छिंदपारा के मध्य राजस्व, वन के शासकीय जमीन से अवैध कब्जा हटाने संबंधितों को गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। अन्यथा सरकारी भूमि को कब्जा में लेने वालों को प्रश्रय मिलेगा