पाली वन परिक्षेत्र में हरे- भरे वृक्षों की कटाई से जंगल हो रहे वीरान, अधिकारी कार्यालय तो कर्मचारी घर बैठे कर रहे दायित्वों का निर्वहन
कुलदीप सिंह ठाकुर की रिपोर्ट
कोरबा/पाली:- एक ओर जहां सरकार वनों के संवर्धन और संरक्षण पर प्रतिवर्ष लाखों- करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। प्रतिवर्ष पौधारोपण कार्य के लिए विभाग को हस्तमुक्त राशि प्रदान कर रही है, वहीं दूसरी ओर कटघोरा वनमंडल के पाली वन परिक्षेत्र में अवैध रूप से वनों की कटाई पर रोक लगाने में विभाग नाकाम साबित हो रहा है।

वन परिक्षेत्राधिकारी कार्यालय से महज 4- 5 किमी की दूरी पर पोड़ी- सिल्ली मुख्यमार्ग किनारे नानपुलाली के समीप स्थित सराई का घना जंगल जो कि नानपुलाली- पाली सर्किल के मुनगाडीह बीट अंतर्गत आता है, उक्त जंगल दिन- प्रतिदिन अवैध कटाई के कारण समाप्त हो रहे हैं। लोग जंगलों के पेड़ों की कटाई कर लकड़ी को फर्नीचर कार्य के लिए बेखौफ बेच रहे है। इससे वन संपदा को भारी नुकसान हो रहा है। फलस्वरूप यहां का घना जंगल धीरे धीरे सपाट मैदान में परिवर्तित होते जा रहा हैं। बता दें कि इस जंगल की लकड़ी काटने वालों में आसपास के लोग सक्रिय है, जो हरे- भरे वर्षों पुराने सराई के पेड़ों को दिन- दहाड़े काटकर और उसका सिलपट तैयार कर फर्नीचर कार्य के लिए औने पौने दाम पर बेच रहे है। इस अवैध कटाई से जहां यह जंगल खत्म हो रहा है और न सिर्फ प्राकृतिक संपदा की क्षति हो रही है, बल्कि क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन की वजह से पर्यावरण को भी नुकसान पहुँच रहा है। वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी इस ओर कार्रवाई करने के बजाय लापरवाह बने हुए है और रखवाली के लिए तैनात परिक्षेत्राधिकारी जहां अपने कार्यालय के वातानुकुलित कक्ष में बैठे- बैठे तो कर्मचारी घर से अपने दायित्वों का पालन कर रहे है। प्रत्येक वर्ष वन विभाग द्वारा पर्यावरण दिवस मनाया जाता है और पेड़ो की रक्षा करने, ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाकर पर्यावरण को बेहतर बनाने संकल्प लिया जाता है। इसके अतिरिक्त जंगलों में लाखों के पौधारोपण कार्य भी कराए जाते है। लेकिन रोपित पौधों की देखभाल नही की जाती है। परिणाम यह कि दूसरा सीजन आते- आते अधिकांश पौधे अपनी स्थान से गायब देखे जाते है, जो चिराग लेकर ढूंढने से भी नजर नही आते। क्योंकि पौधारोपण के बाद विभाग उसके संरक्षण की ओर ध्यान नही देता और रख रखाव के अभाव में वे पौधे पनपने से पहले या नष्ट हो जाते है या फिर पशुओं के आहार बन जाते है। वहीं बचेखुचे पौधे भी प्रतिवर्ष जंगल मे लगने वाले आग की भेंट चढ़ जाते है। ऐसे में जिम्मेदारों की उदासीनता और दायित्वों के प्रति लापरवाही के कारण शासन के मंसूबो पर पानी फिर रहा है। सूत्रों की माने तो जंगलों के पेड़ों की कटाई होने की सूचना वनकर्मियों को दी जाती है लेकिन मौके पर कोई जवाबदार नही पहुँचता। जिसकी वजह से अवैध कटान में लगे लोगों के हौसले बढ़े हुए है। वही विभाग कभी कभार छुटपुट कार्रवाई कर अपने हाथों अपनी ही पीठ थपथपाने का काम कर सक्रिय होने का भाव जताती है, जबकि सच्चाई यह है कि पाली परिक्षेत्र का वन अमला पेड़ों की अवैध कटाई पर अंकुश लगाने में सफल नही हो पा रहा है।