अस्पताल खस्ताहाल- मरीज बेहाल: पाली सीएचसी में स्वास्थ्य सेवा हुई बेपटरी, प्रतीक्षालय फर्श बेंच पर लिटाकर मरीज का ईलाज, स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही और मनमाना रवैया उजागर…

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अस्पताल खस्ताहाल- मरीज बेहाल: पाली सीएचसी में स्वास्थ्य सेवा हुई बेपटरी, प्रतीक्षालय फर्श बेंच पर लिटाकर मरीज का ईलाज, स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही और मनमाना रवैया उजागर

कोरबा/पाली:- वैसे तो अस्पताल मरीजों के उपचार के लिए होते है, लेकिन जिले के पाली सीएचसी को खुद ही इलाज की जरूरत है। बरसात के बीच भीषण गर्मी जैसे बदलते मौसम में इन दिनों वायरल फीवर का प्रकोप बढ़ा है। साथ ही अन्य जलजनित बीमारियां भी बढ़ी है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के मरीज इलाज कराने पाली सीएचसी पहुँच रहे है। लेकिन उन्हें स्वास्थ कर्मियों की लापरवाही व मनमानी रवैये का सामना करना पड़ रहा है। यहां स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही का एक नमूना सामने आया है, जिसमे मरीज को अस्पताल प्रतीक्षालय के फर्श बेंच पर लिटाकर ड्रिप चढ़ाया गया। यहां मरीज को बेड तक नसीब नहीं हो रहा है, बल्कि फर्श बेंच पर बैठे हुए बीमार को वहीं लिटाकर ग्लूकोज चढ़ा दिया। जो मानवीय संवेदनाएं को प्रभावित करती है।

कहने को तो पाली ब्लाक मुख्यालय में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित है। किंतु यहां की चिकित्सीय व्यवस्था बेपटरी हो चुकी है। यहां पहुँचने वाले मरीज फर्श पर लेटकर इलाज कराने को मजबूर है। फर्श पर मरीजों का इलाज होने के चलते उन्हें दूसरे मरीजों से इंफेक्शन फैलने का डर सता रहा है। ऐसे में इस अस्पताल में मिलने वाली सुविधाओं की खस्ताहाल के कारण मरीजों और परिजनों को परेशानी की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। लेकिन यह सब जिम्मेदारों के नजरों में नही दिख रहा है। बीते दिनों एक मरीज को उसके परिजन इस अस्पताल में इलाज के लिए लेकर आए। बीमार को भीतर प्रतीक्षालय फर्श बेंच पर बिठाया गया और पर्ची कटाकर उपस्थित चिकित्सक को बीमारी बताई गई। जिसके बाद स्वास्थ्य कर्मी आए और मरीज को उसी फर्श बेंच पर ही लिटाकर ड्रिप और इंजेक्शन लगा दी गई। जबकि उस दौरान अस्पताल में कई बेड खाली पड़े थे, परंतु चिकित्सा अमले ने मरीज को बेड उपलब्ध कराना उचित नही समझा। ऐसे में मानवीय संवेदनाएं प्रभावित होती रही। यहां उपचार के लिए पहुँचने वाले कई मरीजो ने बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों के मनमानी के कारण उनका समय से इलाज नही हो पा रहा। सीएचसी में जुकाम, बुखार की सामान्य दवाएं तो उपलब्ध है, लेकिन खून की सामान्य जांच के लिए मरीजो को भटकना पड़ता है और ज्यादातर बाहर की दौड़ लगानी पड़ती है, एक्सरे मशीन है पर टेक्नीशियन का राह ताकना पड़ता है, दंत चिकित्सक और नेत्र रोग विशेषज्ञ की मनमानी के कारण आंख और दांत के मरीज प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने को मजबूर है। बता दें कि इस अस्पताल का समय के साथ कायाकल्प तो हुआ, लेकिन चिकित्सीय लापरवाही के कारण इसका विकास अपेक्षाकृत नही हो पा रहा है। जिसका खामियाजा मरीजों और उनके परिजनों को भुगतना पड़ता है। फर्श बेंच पर मरीज के इलाज को लेकर अस्पताल की व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर रही है। बारिश, गर्मी के इस बदलते मौसम में ग्रामीण क्षेत्र का बीमार व्यक्ति यहां स्वास्थ्य सुधार के लिए आता है, परंतु अपेक्षित उपचार नही मिलने के कारण दुखी मन से निजी क्लिनिक या फिर झोलाछाप के पास जाने को मजबूर होता है। प्रशासनिक अनदेखी के कारण इस अस्पताल की स्थिति दिन ब दिन बदहाल होते जा रही है। मरीज और उनके परिजनों को अब जनप्रतिनिधियों से व्यवस्था सुधार की अपेक्षा है और उनका कहना है कि हमे बेहतर उपचार सुविधा मिल सके व फर्श पर लेट कर इलाज कराने को मजबूर ना होना पड़े।

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