गहन जाँच के बाद: छात्र सुरक्षा में लापरवाही के आरोप में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के अधिकारियों के विरुद्ध मामला दर्ज..

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गहन जाँच के बाद: छात्र सुरक्षा में लापरवाही के आरोप में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के अधिकारियों के विरुद्ध मामला दर्ज


बिलासपुर, छत्तीसगढ़: सुरक्षा मानकों की घोर उपेक्षा और दायित्व निर्वहन में लापरवाही के गंभीर आरोपों के चलते, कोनी थाने ने गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय (GGU) के सुरक्षा अधिकारी, वार्डन और अन्य संबंधित कर्मियों के खिलाफ एक गंभीर अपराध पंजीबद्ध किया है। यह कार्रवाई विश्वविद्यालय के मेधावी छात्र, अर्सलान अंसारी, की दुखद और अकाल मृत्यु के मामले में की गई है, जिनका शव परिसर के भीतर स्थित एक तालाब में पाया गया था।
दुखद घटना और त्वरित प्रशासनिक कार्रवाई
मामला 23 अक्टूबर, 2025 का है, जब गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय परिसर के पास सरस्वती मंदिर रोड स्थित ‘बांधा तालाब’ में एक शव तैरता हुआ मिला। मृतक की पहचान बिहार के कादिरपुर निवासी और विश्वविद्यालय के छात्र अर्सलान अंसारी के रूप में हुई। यह घटना पूरे शैक्षणिक समुदाय के लिए एक गहरा आघात थी और इसने परिसर के भीतर छात्र सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए थे।
घटना की संवेदनशीलता और गंभीरता को देखते हुए, वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने तत्काल मामले का संज्ञान लिया। उन्होंने थाना कोनी को इस दुखद घटना की त्वरित, गहन और निष्पक्ष जांच करने के लिए विशेष रूप से निर्देशित किया। इसका उद्देश्य न केवल मृत्यु के कारणों का पता लगाना था, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना था कि यदि कोई सुरक्षात्मक या प्रशासनिक चूक हुई है, तो उसके लिए जिम्मेदार लोगों को कानून के कटघरे में लाया जा सके।
मर्ग जांच और खुलासे
थाना कोनी द्वारा मर्ग (संदिग्ध मृत्यु) दर्ज कर विस्तृत जांच शुरू की गई। जांच दल ने वैज्ञानिक, तकनीकी और मानवीय पहलुओं को ध्यान में रखते हुए हर कोण से छानबीन की। जांच के दौरान निम्नलिखित महत्वपूर्ण साक्ष्य और निष्कर्ष सामने आए:
घटनास्थल का निरीक्षण: जांच दल ने घटनास्थल यानी बांधा तालाब का विस्तृत निरीक्षण किया। यह पाया गया कि तालाब अत्यंत गहरा था और उसके किनारे फिसलन युक्त थे, जो किसी भी व्यक्ति के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते थे।
सुरक्षा मानकों का उल्लंघन: सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह सामने आया कि इस खतरनाक और वर्जित क्षेत्र के चारों ओर किसी भी प्रकार का सुरक्षा बाड़ा (फेंसिंग) नहीं लगाया गया था। इसके अलावा, छात्रों को उस क्षेत्र में प्रवेश से रोकने के लिए पर्याप्त संख्या में चेतावनी पटल (Warning Signs) या प्रवेश वर्जित क्षेत्र (Prohibited Area) के संकेत भी मौजूद नहीं थे।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और गवाहों के बयान: मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और संबंधित गवाहों (सहपाठी, कर्मचारी, आदि) के विस्तृत बयानों ने भी इस बात की पुष्टि की कि अर्सलान की मृत्यु दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों में हुई, जहाँ सुरक्षा मानकों की अनुपस्थिति एक प्रमुख कारक थी।
कर्तव्य में उपेक्षा और लापरवाही का निष्कर्ष
जांच के सभी पहलुओं—घटनास्थल निरीक्षण, वैज्ञानिक परीक्षण रिपोर्टें, पोस्टमार्टम निष्कर्ष, और गवाहों के कथन—का समग्र विश्लेषण करने के बाद, जांच अधिकारियों ने एक स्पष्ट और गंभीर निष्कर्ष पर मुहर लगाई।
यह पाया गया कि गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन के अंतर्गत आने वाले सुरक्षा अधिकारी, वार्डन और अन्य संबंधित जिम्मेदार कर्मियों ने छात्र सुरक्षा के अपने प्राथमिक और महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व के निर्वहन में जानबूझकर घोर उपेक्षा और लापरवाही बरती।
एक गहरे और खतरनाक जल निकाय के चारों ओर सुरक्षा बाड़ा नहीं लगाना, आवश्यक चेतावनी संकेतों को अनदेखा करना, और छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियमित निगरानी न रखना, उनके कर्तव्यों के प्रति गंभीर उदासीनता को दर्शाता है। यह लापरवाही ही छात्र अर्सलान अंसारी की अकाल मृत्यु का एक सीधा और संज्ञेय (Cognizable) कारण बनी।
अपराध पंजीबद्ध: न्याय की दिशा में कदम
उपरोक्त निष्कर्षों के आधार पर, यह स्पष्ट हो गया कि संबंधित अधिकारियों की लापरवाही के कारण एक संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) घटित हुआ है।
थाना कोनी ने इस गंभीर मामले में तत्काल कार्रवाई करते हुए, सुरक्षा अधिकारी, वार्डन, एवं अन्य अज्ञात/चिन्हित व्यक्तियों के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता (BNS) के नए प्रावधानों के तहत अपराध दर्ज किया है:
धारा 106(1) BNS: लापरवाही या उपेक्षा से हुई मृत्यु से संबंधित प्रावधान।
धारा 3(5) BNS: (यह धारा सामान्यतः संज्ञेय अपराधों से संबंधित होती है, जिसका उपयोग गंभीर मामलों में किया जाता है)।
वर्तमान में, थाना कोनी द्वारा यह अपराध क्रमांक [क्रमांक यहाँ जोड़ा जा सकता है, यदि उपलब्ध हो] पर पंजीबद्ध कर लिया गया है, और मामले की विवेचना (Investigation) गहनता से जारी है। जांच का फोकस अब व्यक्तिगत और प्रशासनिक जवाबदेही तय करने पर होगा।
इस दुखद घटना ने पूरे देश के शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक कड़ा संदेश दिया है कि छात्र सुरक्षा एक प्राथमिक और गैर-समझौता योग्य उत्तरदायित्व है। प्रशासन के खिलाफ दर्ज यह मामला न केवल मृतक छात्र को न्याय दिलाने की दिशा में एक कदम है, बल्कि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक कड़ी चेतावनी भी है।
आगे की कार्रवाई
पुलिस प्रशासन ने आश्वस्त किया है कि विवेचना तेजी से पूरी की जाएगी और संलिप्त पाए गए सभी व्यक्तियों के खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। विश्वविद्यालय प्रशासन से भी अनुरोध किया गया है कि वे तत्काल परिसर के सभी खतरनाक क्षेत्रों की समीक्षा करें और सुरक्षा मानकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक सुनिश्चित करें।

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