संवाददाता रमेश यादव की रिपोर्ट
बिलासपुर। बिलासपुर में रविवार को बांस गीत-गाथा अकादमी छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित भव्य बांस गीत-गाथा समारोह ने इतिहास रच दिया। इस आयोजन में प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आए 150 से अधिक बांस गायक, वादक और सहयोगी कलाकारों ने एक साथ प्रस्तुति दी। पारंपरिक बांस गीत और वादन की यह सामूहिक प्रस्तुति छत्तीसगढ़ में पहली बार हुई, जिसे देखकर श्रोता उत्साह से झूम उठे। कार्यक्रम पंडित देवकीनंदन दीक्षित सभा भवन में दोपहर 2 बजे शुरू होकर देर रात तक चलता रहा।

समारोह के मुख्य अतिथि बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला ने कहा कि बांस गीत केवल कला नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की अस्मिता और सांस्कृतिक पहचान है। उन्होंने इस पहल को संस्कृति संरक्षण का मील का पत्थर बताया और ऐसे आयोजनों को लगातार जारी रखने की जरूरत पर जोर दिया।
विशिष्ट अतिथि पद्मश्री फूलबासन यादव ने रिकॉर्ड बनाने वाले कलाकारों के साथ मंच साझा करते हुए कहा कि इतने बड़े स्तर पर बांस कलाकारों को एक जगह देखना गर्व की बात है। उन्होंने आयोजन के लिए डॉ. सोमनाथ यादव की सराहना की।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए पूर्व महापौर रामशरण यादव ने बताया कि अकादमी पिछले दस वर्षों से गांव-गांव जाकर बांस कलाकारों को मंच दे रही है, जिससे यह लोकपरंपरा फिर से जीवंत हो रही है।
अकादमी के अध्यक्ष डॉ. सोमनाथ यादव ने कहा कि बांस गीत छत्तीसगढ़ की पुरातन वाचिक परंपरा है, जो सरकारी और सामाजिक संरक्षण के अभाव में धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। यह कला केवल छत्तीसगढ़ में ही जीवित है। उन्होंने मांग की कि जैसे अन्य लोक कलाओं को सरकारी मंच मिलते हैं, वैसे ही बांस गीत कलाकारों को भी अवसर प्रदान किया जाए ताकि युवा पीढ़ी इस परंपरा को आगे बढ़ाए।
बांस गीत ऐसी कला है जो भारत में अकेले छत्तीसगढ़ में गाया बजाया जाता है बांस गीत-गाथा छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष डॉ सोमनाथ यादव ने कहा कि बांस गीत पुरातन लोक कला है जो सरकार और समाज का संरक्षण नहीं मिलने के कारण विलुप्ति के कगार पर है। बांस गीत ऐसी कला है जो भारत में अकेला छत्तीसगढ़ में गाया बजाया जाता है। वाचिक परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए युवा उदासीन है। यादव जातीय गौरव के रूप में विख्यात बांस गीत-गाथा में महाभारत से लेकर वीर लोरिक और वर्तमान परिस्थिति तक का प्रसंग को गीत के माध्यम से बांस गायक अपने सहयोगी कलाकार के साथ प्रस्तुत करता है। डॉ सोमनाथ यादव ने कहा कि जिस तरह अन्य लोक कलाओं को सरकारी कार्यक्रमों में मंच दिया जाता है वैसे ही बांस गीत कलाकारों को मंच मिलना चाहिए जिससे बांस गीत का संरक्षण हो सके और युवा भी इस कला का आगे बढ़ाने में आगे आ सके। 10 जिले के कलाकारों ने दी प्रस्तुति बांस गीतगाथा समारोह में बिलासपुर, मुंगेली, जांजगीर, बलौदाबाजार, कवर्धा, बेमेतरा, कोरबा, पेंड्रा, जांजगीर जिला के बांस गायक, वादक और सहयोगी कलाकार शामिल हुए। समारोह के प्रारंभ में वीर लोरिक पर केंद्रित प्रसंग को 150 से अधिक गीत और बांस वाद्य के कलाकरो द्वारा एक साथ प्रस्तुति दी गई। उसके बाद 40 दल ने अपने टीम के सदस्यों के साथ अलग-अलग ऐतिहासिक प्रसंग की प्रस्तुति दी। इनको किया सम्मानित कार्यक्रम में सिरगिट्टी, मस्तूरी, तखतपुर,मंगला, सकरी और बेलतरा रावत नृत्य महोत्सव समिति और सिलपहरी, भरनी, परसदा, खमतराई, बहतराई और बसिया रावत नृत्य दल के साथ समाज सेवी श्रीराम यादव मुंगेली का श्रीफल शाल, स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया। समारोह का संचालन अकादमी के अध्यक्ष डॉ सोमनाथ यादव ने तथा आभार प्रदर्शन महासचिव संतोष कुमार यादव ने किया। सोशल मीडिया में जमकर हो रहा वायरल न्यायधानी बिलासपुर में ई हुए इस अनोखे आगोजन की धमक अब सोशल मीडिया भी दिखाई देने लगी लगी है। सोशल मीडिया के अलग अलग प्लेटफार्म पर वीडियो जमकर वायरल हो रहा है।

आयोजन में इनकी रही विशेष सहभागिता उपाध्यक्ष नीरज यादव,पार्षद लक्ष्मी यादव, बिलासपुर जिला यादव समाज अध्यक्ष शिवशंकर यादव, संजय यादव, जितेंद्र यादव, विजय यादव, अमित यादव, अनिल यादव, नंदकिशोर यादव, कमल यादव, गुड्डू यादव, श्रीराम यादव, अशोक यादव, भरत यादव, महेश यादव, हंस राम यादव, जलेश्वर यादव, घनश्याम यादव, रामफल यादव, गौरीशंकर यादव, सतीश यादव, डा मंतराम यादव, राम गोपाल यादव, भगवत यादव, नत्थू यादव, केशव यादव, जगदीश यादव, प्रकाश यादव, डा अजय पाठक,महेश श्रीवास, राघवेंद्र धर दिवान, डा जी डी पटेल, देवानंद दुबे, राजेंद्र मौर्य, आनंद प्रकाश गुप्त, रामेश्वर गुप्ता, अश्वनी पाण्डेय आदि प्रमुख पदाधिकारी गण, बिलासा कला मंच के सदस्यगण।